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रिजक की मर्यादा नाटक ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध पांच दिवसीय रंग प्रयोग नाट्य समारोह का हुआ आगाज

सागर मध्य प्रदेश
संवाददाता हेमंत लडिया

रंग प्रयोग नाट्य समारोह 2024

रिजक की मर्यादा नाटक ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध पांच दिवसीय रंग प्रयोग नाट्य समारोह का हुआ आगाज

 

मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग और मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल द्वारा ज़िला प्रशासन सागर के सहयोग से सागर में 5 दिवसीय रंग प्रयोग नाट्य समारोह का आयोजन , महाकवि पद्माकर सभागार , मोतीनगर में किया जा रहा है। समारोह के पहले दिन शाम साढ़े 6 बजे कार्यक्रम की दीप प्रज्वलन के साथ शुरुआत हुई। मुख्य अतिथि के तौर पर सांसद डॉ. लता वानखेड़े, विधायक शैलेंद्र जैन, अपर कलेक्टर रुपेश उपाध्याय , म.प्र. नाट्य विद्यालय के निदेशक टीकम जोशी एवं ज़िला प्रशासन के अधिकारियों सहित नगर के गणमान्य नागरिक और दर्शक उपस्थित रहे।

रंग प्रयोग नाट्य समारोह के पहले दिन विजयदान देथा की कहानी रिजक की मर्यादा का मंचन दिल्ली के वरिष्ठ रंग निर्देशक अजय कुमार के निर्देशन में हुआ। यह कहानी एक कलाकार की कहानी है, जिसमें शंकर भांड नामक बहुरूपिया है, जो जिस चरित्र में ढलता है उसमे पूरी तरह डूब जाता है। साहित्य लेखन में इसे परकाया प्रवेश कहते हैं। इस परकाया प्रवेश में शंकर भांड का कोई मुकाबला नहीं है। इस कहानी में वह साधु का वेश धरकर किसी इलाके में जाता है। इस स्वांग में वह साधु को इतना विश्वसनीय बना देता है कि गांव का सेठ अपनी सारी संपत्ति साधु को दान करना चाहता है। यहां शंकर भांड अपने असली रूप में आकर बताता है कि मैं कोई साधु नहीं हूं। सेठ ने जब कहा कि इतनी दौलत मिल गई थी तो साधु का क्यों छोड़ा ? तब शंकर भांड ने कहा कि मैं जो रूप धरता हूं उसी के अनुरूप हो जाता हूं इसलिए इतनी धन दौलत साधु के लिए व्यर्थ है और यह मेरे रिजक यानि कुल और कलाकारी की मर्यादा भी है। इसके बाद कहानी में अचानक मोड़ तब आता है जब ख्याति सुनकर राजा उसे चुड़ैल का स्वांग करने को बोलता है। शंकर ने कहा कि यह स्वांग मत कराइए क्योंकि मैं किसी भी रूप में पूरी तरह प्रवेश कर जाता हूं। अगर ये स्वांग हुआ तो फिर चुड़ैल किसी भी मनुष्य का सीना फाड़कर रक्तपान करने के बाद ही शांत होती है ऐसे में मेरे सामने जो भी आएगा उसकी छाती चीरकर रक्तपान करना पड़ेगा। राजा और मंत्रियों ने सोचा कि यह बहानेबाजी कर रहा है। उसे उकसाया गया और शंकर भांड ने अगले दिन चुड़ैल का स्वांग किया। स्वांग इतना विश्वसनीय था कि राजा, दरबारी, प्रजा सभी भाग खड़े हुए लेकिन राजा का साला, जो कि नशे में था, वह चुड़ैल के सामने जाकर गिर पड़ा। चुड़ैल ने राजा के साले की छाती चीर डाली और रक्तपान किया। इस स्वांग के बाद जब शंकर भांड ने राजा से बख्शीश मांगी तब लोगों को अहसास हुआ कि ये तो चुड़ैल नहीं शंकर है। तब सबने उसे राजा के साले का हत्यारा घोषित करके पकड़ लिया। रानी आई और बिलखते हुए शंकर भांड को सूली पर चढ़ाए जाने की मांग की। शंकर भांड ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि उसने पहले ही यह स्वांग न कराए जाने की गुज़ारिश की थी लेकिन आपने बाध्य किया। तभी राजा के मंत्री ने इस परेशानी से बचने , राजा को सलाह दी कि शंकर भांड को कल सती का स्वांग करने का आदेश दें, वह जो करता है पूरे सत्य से करता है इससे उसे सजा भी मिल जायेगी और दोष भी आप पर नहीं आएगा। यह आदेश पाकर शंकर समझ गया कि उसे अपने रिजक की मर्यादा का पालन करना है तो सती की तरह चिता में जल जाना होगा। उसने राजा से प्रार्थना की कि उसकी राख उसके घरवालों तक पहुंचा दी जाए और उसके बच्चों को भी बताया जाए कि वे भी रिजक की मर्यादा का पालन करें। यह वादा लेने के बाद शंकर भांड ने राजा के आदेश का पालन करते हुए सती का स्वांग किया और रिजक की मर्यादा रखी। नाट्य मंचन में शारोन मेरी मसीह, हिमाद्रि व्यास, संजना, अभिषेक मंडोरिया, अर्पित ठाकुर, गौतम सारस्वत, प्रदीप तिवारी, रोहित खिलवानी, अभय आनंद बडोनी, कनिष्क द्विवेदी और विशाल बरुआ आदि ने भूमिकाएं निभाई, जबकि संगीत पक्ष की जिम्मेदारी को सागर शुक्ला और संजय कोरी ने बखूबी निभाया। प्रकाश संयोजन प्रसन्न सोनी का रहा।स्थानीय समन्वयन, शहर की युग्सृष्टि थिएटर समिति द्वारा किया गया ।

आज होगा नाटक सुहाने अफ़साने

टीम के सहयोगी और युवा रंगकर्मी आकाश विश्वकर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि आज 17 अक्टूबर को नील सायमन द्वारा लिखित एवं विद्यानिधि बनारसे द्वारा निर्देशित नाटक *सुहाने अफ़साने* का मंचन किया जाएगा जिसमें अलग अलग 6 कहानियों को पिरोया गया है । आयोजन के स्थानीय समन्वयक अभिषेक दुबे एवं मयंक विश्वकर्मा ने सभी दर्शकों से अपील की है कि इस समारोह में निशुल्क प्रवेश है और शहर के लिए एक शानदार आयोजन है अतः समय से पहुंचकर अपना स्थान सुनिश्चित करलें।

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