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बेटा बेटी में भेदभाव न करें

” बेटा बेटी में भेदभाव न करें”
*अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर पर विशेष*
डॉ. बी. एल. मिश्रा
एम.डी. (मेडिसिन)
से.नि. क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवायें , रीवा संभाग रीवा
हम स्त्रीलिंग संतान को बालिका मानते हैं। हमारे पूर्वज नारी सम्मान में अपनी भावना इस प्रकार प्रकट करते थे ” यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमंते तत्र देवता:” यानी जहां स्त्रियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। पूरी दुनिया में अक्टूबर माह की 10 तारीख को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में वर्ष 2011 से लगातार मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य है _लड़कियों को विकास के अवसर प्रदान कर समाज में उनको सम्मान और अधिकार दिलाना है। यह दिवस सिर्फ एक दिन नहीं है। यह दुनिया भर में करोड़ों लड़कियों के जीवन को बेहतर बनाने का एक आंदोलन है। भारत में बेटी को देवी के रूप में माना जाता है इसीलिए कहा गया है “जिस घर में होता है बेटी का सम्मान, वह घर होता है स्वर्ग के समान। इस दिवस की वर्ष 2024 की थीम है ” भविष्य के लिए बालिकाओं का दृष्टिकोण” । वर्तमान में बालिकाओं के सर्वांगीण विकास में प्रमुख चुनौतियां है – जलवायु, संघर्ष, गरीबी, मानव अधिकारों, लैंगिक समानता, आर्थिक विकास, बीमारी की रोकथाम, भेदभाव, लैंगिक समानता, सुरक्षा, जबरन बाल विवाह, सम्मान व अधिकार, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, कम उम्र में गर्भ। वैश्विक स्तर पर बालिकाओं की आवाज सुनी जानी जानी चाहिए। सकारात्मक पहलू यह है की लड़कियां भविष्य के लिए आशावान व संकट का सामना करने में साहसी हैं। विश्व की 6 करोड़ किशोर बालिकाओं हेतु हमारा मूल मंत्र ‘बेटा बेटी एक समान’ होना चाहिए। भारत में जहां बेटी को पराया धन माना जाता है वहीं हम अपने दिलों में झांक कर देखें तो पाएंगे कि “बेटियां दोनों कुल की शान है”।
*बालिका के अधिकार* –
एक ऒर जहां बालकों की तुलना में बालिका ज्यादा होशियार, आज्ञाकारी, मेहनती,अपने जीवन व परिवार के प्रति जिम्मेदार होती है,वहीं उनके प्रमुख अधिकार हैं – जीवित रहने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार,सुरक्षा,भागीदारी, विकास,स्वास्थ्य व कल्याण, पहचान, अभिव्यक्ति,भेदभाव न करने,सुरक्षित वातावरण,समान मेहनताना, गरिमा व शालीनता,कार्य स्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा, घरेलू हिंसा के खिलाफ मुफ्त कानूनी मदद, रात में महिला को नहीं कर सकते गिरफ्तार, अशोभनीय भाषा का प्रयोग न हो, महिला का पीछा नहीं कर सकते, शून्य FIR का अधिकार है, पैतृक संपत्ति में बालिका का हक, सुरक्षित गर्भपात का प्रमुख अधिकार है।
*देश में बालिका शिक्षा* –
‘शिक्षित बालिका- सशक्त बालिका’ सशक्त देश की परिकल्पना से ही सशक्त भारत बन सकता है। निश्चित देश रूप से दुनिया में विकासशील देशों में विकसित देशों की तुलना में बालिका साक्षरता कम है। यथार्थ तो यही है – “देश का करना हो संपूर्ण विकास ,तो बालिका शिक्षा न करें नजर अंदाज”। देश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के बाद भी बहुत बड़ी संख्या में बेटियां या तो विद्यालय नहीं जाती या बार-बार स्कूल छोड़ देती हैं जिससे वह न्यूनतम इंटरमीडिएट परीक्षा भी उत्तीर्ण नहीं कर पाती। इसे भारत शासन को ‘राष्ट्रीय इमरजेंसी’ की तर्ज पर कार्य योजना बनाना होगा।
*बालिका व उनका स्वास्थ्य* –
चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर बी. एल. मिश्रा ने बताया कि स्वास्थ्य की दृष्टि से बालिका को कन्या भ्रूण ,जीरो से 5 वर्ष कन्या एवं 6 से 18 वर्ष में विभाजित किया गया है जबकि 11 वर्ष से 18 वर्ष तक किशोरावस्था होती है। भारत में पुरुष प्रधान समाज में आज भी भेदभाव देखा जाता है यद्यपि विगत दशकों में इस खाई को पाटने हेतु सराहनीय प्रयास हुए हैं। बेटा की चाह में पीसीपीएन डीटी एक्ट लागू है जिससे बेटियों की संख्या में गुणात्मक वृद्धि हुई है। देश में 5 वर्ष से कम आयु की बेटियों में मृत्यु दर वैश्विक स्तर पर अधिक है। इसी प्रकार 56 % से अधिक किशोरियां एनीमिया (खून की कमी) से पीड़ित है, इसी प्रकार संक्रामक रोगों (टीबी,मलेरिया,एचआईवी) से भी पीड़ित व मौत की बड़ी संख्या है।
बाल विवाह व कम उम्र में गर्भ भी किशोरियों में बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। स्कूली व गैर स्कूली कन्याओं को आयरन फोलिक एसिड की गोली व ब्यक्तिगत स्वचछता हेतु निःशुल्क नैपकिन को आवश्यकता अनुसार दिए जाने की सख्त जरूरत होती है।
*अपेक्षाएं* –
देश में बेटी को बेटा के बराबर दर्जा मिले इस हेतु बालिका को सुरक्षित,शिक्षित, स्वस्थ,बराबर भागीदारी,विकास,भेदभाव न करने, समान मेहनताना दिलाने, घरेलू हिंसा मुक्त, बाल श्रम से मुक्त,विद्यालय और कार्य स्थल में उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करने हेतु बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना सहित अन्य योजनाओं को भारत शासन व राज्य सरकार को सख्त कानून लागू करना चाहिए व समस्त जनप्रतिनिधि,समाजसेवी संगठन व आमजन में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। कन्या के जन्म को उत्सव की तरह मनायें और पेड़ लगाए। जिस दिन देश की 100% बालिकायें शिक्षित हो जाएगी उस दिन समस्त समस्याओं का स्वयमेव खात्मा हो जाएगा।
(डॉ. बी. एल. मिश्रा) 9424974800

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